The form of Shrimad Bhagwat and Shri Bhagwan is Sachchidanandmay-Vyaspeetha. श्रीमद्भागवत और श्री भगवान का स्वरूप सच्चिदानंदमय है-व्यासपीठ

जता बेरा प्रांगण चांद बावडी पर हो रहा है कथा ज्ञान यज्ञ, विभिन्न पुराणों और श्रीमद्भागवत की महत्ता पर डाला गया प्रकाश

आध्यात्मिक शुद्धि, पर्यावरण शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति के लिए अग्निहोत्र का बताया गया महत्व, भागवताचार्या पुष्पा जोशी सहित कई विद्वानों का सम्मान

जोधपुरश्री चैनेश्वर श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन जता बेरा प्रांगण चांद बावडी पर किया जा रहा है। इस कथा ज्ञान यज्ञ में अग्निहोत्री चंचल हर्ष ने श्रीमद्भागवत और श्री भगवान के स्वरूप को सच्चिदानंदमय बताया। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत और श्री भगवान का स्वरूप सदा एक ही है और वह है सच्चिदानंदमय।

उन्होंने विभिन्न पुराणोंकी श्लोक संख्या, श्रीमद्भागवत की महत्ता, श्रीमद्भागवत का स्वरूप, प्रमाण, श्रोता व्यक्ता का लक्षण, श्रवण विधि और महामात्य, परिक्षित व व्रजनाम का समागम, व्रजभूमि का महत्व, यमुना व श्रीकृष्ण पत्नियों का संवाद मार्कण्डेयजीकी की तपस्या और वर प्राप्ति, अर्थवेदो की शाखाएं, पुराणों के लक्षण, परिक्षित की परमगति के बारे में विस्तार से बताया।

कार्यक्रम समन्वयक अरूण कुमार जोशी ने बताया कि मण्डल दत शर्मा, अग्निहोत्री विट्ठल मूथा, योगेश मूथा, पुखराज बिस्सा अग्निहोत्री पर प्रकाश डालते हुए विट्ठल मूथा ने आध्यात्मिक शुध्दी एवं ध्यान शुद्धी, पर्यावरण व वायुमंडल की शुद्धि, संतान, धन, और ऐश्वर्य में वृद्धि मोक्ष और पुण्य की प्राप्ती सृष्टि के लिए कार्य करने के बारे में जानकारी दी।

कार्यक्रम में पंडित गोपीकिशन जोशी, शांति प्रसाद, दिपक बटुक का यथा योग्य सम्मान किया गया। भागवताचार्या पुष्पा जोशी, मुरलीधर जोशी का सम्मान किया गया, अग्निहोत्री चंचल हर्ष सोमियाजी का साफा पहनाकर सम्मानित किया गया, व्यासपीठ ने संस्थान व क्षेत्रवासियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।

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