Jodhpur RPF: Angel for destitute and runaway children. जोधपुर आरपीएफ: बेसहारा और भागे बच्चों के लिए देवदूत। 411 व्यक्तियों 28 बच्चों का किया पुनर्वास।

411 बेसहारा व्यक्तियों और 28 बच्चों को सुरक्षा और पुनर्वास दिलाया

"ऑपरेशन डिग्निटी", "ऑपरेशन अमानत", और "ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते" के तहत उल्लेखनीय कार्य

जोधपुररेलवे स्टेशन पर रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने मानवता की अनूठी मिसाल पेश की है। भागदौड़ भरी जिंदगी में जहां लोग अपने परिवार को भी समय नहीं दे पा रहे हैं, वहीं आरपीएफ के जवानों ने बेसहारा, विक्षिप्त, मंदबुद्धि, बीमार और जरूरतमंद लोगों की मदद कर उनके जीवन में उम्मीद की किरण जगाई है। ज्योति कुमार सतीजा, महानिरीक्षक-सह-प्रधान मुख्य सुरक्षा, रेलवे सुरक्षा बल, जयपुर और नीतीश शर्मा, वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्त जोधपुर के निर्देशन में, आरपीएफ जोधपुर द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न अभियानों ने नई ऊंचाइयाँ छुई हैं।

"ऑपरेशन डिग्निटी" के तहत, वर्ष 2024-25 में आरपीएफ ने 411 बेसहारा व्यक्तियों को स्टेशन परिसर से "अपना घर आश्रम" जोधपुर को सौंपा। इनमें से 184 व्यक्तियों को इलाज के बाद उनके परिजनों को सौंपा गया, जबकि जगह की कमी के कारण 184 अन्य को पुनर्वास केंद्र भरतपुर भेजा गया। दुर्भाग्य से, 14 व्यक्तियों का आश्रम में इलाज के दौरान निधन हो गया, जबकि 29 अभी भी "अपना घर आश्रम" में निवास कर रहे हैं। सउनि अजीत खान ने इस अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

इसके अलावा, "ऑपरेशन अमानत" के तहत, आरपीएफ ने 107 यात्रियों के खोए हुए सामान (अनुमानित कीमत 18,56,790 रुपये) को सुरक्षित वापस लौटाया। "ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते" के तहत, 28 बच्चों को बेहतर संरक्षण और पुनर्वास के लिए बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के समक्ष प्रस्तुत किया गया।

अपना घर आश्रम के केयरटेकर देवीलाल ने बताया कि 2024-25 में कुल 799 निराश्रितों को आश्रम में रखा गया, जिनमें से अधिकांश आरपीएफ द्वारा लाए गए थे। निरीक्षक रेलवे सुरक्षा बल ने आश्रम का दौरा कर जरूरतमंदों के बारे में जानकारी प्राप्त की।

आरपीएफ का यह काम मानवीय मूल्यों की मिसाल है, जो रेलवे सुरक्षा से परे जाकर समाज सेवा का एक नया आयाम स्थापित कर रहा है।

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