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नई दिल्ली। पेरिस ओलंपिक में भारत के लिए पहला मेडल जीतने के बाद शूटर मनु भाकर ने श्रीमद्भगवद गीता के इस (कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥) श्लोक का जिक्र किया। मनु भाकर ने कहा कि वो श्रीमद्भगवद गीता का नियमित पाठ करती है। जिसमें कहा गया है, कि स्वयं कर्म पर भरोसा रखो। जो बीत गया, उसकी चिंता में डूबने के बजाय लक्ष्य पर फोकस करो।

टोक्यो ओलंपिक - 2020 में मेडल की रेस से बाहर होने के बाद मनु भाकर निराशा में डूब गई थी। श्रीमद्भगवद गीता ने मनु को निराशा से बाहर लाने का काम किया। मनु भाकर ने कहा कि जब वो पेरिस ओलंपिक में मेडल के लिए निशाना लगा रही थी तो उसके दिमाग में श्रीमद्भगवद गीता ही चल रही थी।

गीता में लिखा है 'तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करना ही है। कर्मों के फल पर तुम्हारा अधिकार नहीं है। अतः तुम निरन्तर कर्म के फल पर मनन मत करो और अकर्मण्य भी मत बनो।'

पेरिस ओलंपिक में भारत के लिए पहला मेडल जीतने के बाद शूटर मनु भाकर ने श्रीमद्भगवद गीता के इस श्लोक का जिक्र किया। मनु भाकर ने कहा कि वो श्रीमद्भगवद गीता का नियमित पाठ करती है, जिसमें कहा गया है कि स्वयं कर्म पर भरोसा रखो। जो बीत गया, उसकी चिंता में डूबने के बजाय लक्ष्य पर फोकस करो।

दुनिया की 75 से अधिक भाषाओं में अनुवाद की जा चुकी श्रीमद्भगवद गीता का विश्व की महान विभूतियां नियमित रूप से पाठ करती रही हैं। अपने जीवन में श्रीमद्भगवद गीता की शिक्षा का अनुसरण करती रही हैं। स्वयं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रीमद्भगवद गीता से गहरा लगाव था और उनके जीवन पर श्रीमद्भगवद गीता ने गहरा प्रभाव छोड़ा था।

सस्ता साहित्य मंडल नई दिल्ली से महात्मा गांधी के लेखों पर प्रकाशित पुस्तक 'गीता की महिमा' में उनके धार्मिक विचारों की झलक मिलती है। एक लेख में महात्मा गांधी ने लिखा कि गीता शास्त्रों का दोहन है। गीता मेरे लिए माता हो गई है। जब कभी संदेह मुझे घेरते हैं और मेरे चेहरे पर निराशा छाने लगती है तो मैं गीता को एक उम्मीद की किरण के रूप में देखता हूं। गीता में मुझे एक छंद मिल जाता है, जो मुझे साथ सांत्वना देता है। मैं कष्टों के बीच मुस्कराने लगता हूं।

भारत के मिसाइल मैन और पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलम भी श्रीमद्भगवद गीता से बेहद प्रभावित थे और उसका नियमित पाठ करते थे। अपनी आत्मकथा 'विंग्स ऑफ फायर' में उन्होंने अपने गीता से जुड़ाव की जिक्र किया है। एक स्थान पर कलाम ने बताया कि कैसे एक बार तिरुअनंतपुर के तट पर उन्हें भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक और महान वैज्ञानिक विक्रम साराभाई श्रीमद्भगवद गीता पढ़ते हुए मिले थे। विक्रम साराभाई ने ही उन्हें श्रीमद्भगवद गीता पढ़ने के लिए प्रेरित किया था। अपनी आत्मकथा में कलाम ने लिखा कि गीता एक विज्ञान है और भारतीयों के लिए अपनी सांस्कृतिक विरासत का गर्व का बड़ा विषय है।

दुनिया में परमाणु बम के जनक अमेरिकी वैज्ञानिक जे. रॉबर्ट ओपेनहाइमर को भी श्रीमद्भगवद गीता से गहरा लगाव था। 1930 के दशक में ओपेनहाइमर हिंदू ग्रंथों से प्रभावित हुए और वर्ष 1933 में हर गुरुवार को वो श्रीमद्भगवद गीता पढ़ने जाते थे, जिसे बर्कली में रहने वाले आर्थर राइडर नाम के संस्कृत शिक्षक पढ़ाते थे।

ओपनहाइमर ने श्रीमद्भगवद गीता को अनुवाद किए बिना पढ़ने का निर्णय लिया था और इसके लिए उन्होंने संस्कृति सीखी थी। वर्ष 1785 में सर्वप्रथम ईस्ट इंडिया कंपनी के कर्मचारी चार्ल्स विलकिंस ने संस्कृत से अंग्रेजी में श्रीमद्भगवद गीता का अनुवाद किया। यह किसी भी यूरोपीय भाषा में संस्कृत से होने वाला पहला अनुवाद भी है।

श्रीमद्भगवद गीता मनुष्य को कर्तव्य का बोध कराती है। जीवन जीने की कला सिखाती है। सत्कर्म करते हुए जीवन जीने की शिक्षा देती है। यही कारण है कि दुनिया के अधिकांश देशों में श्रीमद्भगवद गीता का अध्ययन हो रहा है। अमेरिका की न्यूजर्सी यूनिवर्सिटी में श्रीमद्भगवद गीता को अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाता है।

ऐसे विश्व में कई विश्वविद्यालय हैं, यहां श्रीमद्भगवद गीता को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। केवल शूटर मनु भाकर नहीं, दुनिया में करोड़ों-करोड़ लोगों को श्रीमद्भगवद गीता राह दिखा रही है। आज देश-दुनिया में सैकड़ों लोग अवसाद का शिकार हो रहे हैं। निराशा में डूब रहे हैं। यदि वो श्रीमद्भगवद गीता का पाठ करें तो जीवन और विश्व में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।
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नई दिल्ली। अखिल भारत हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रविन्द्र कुमार द्विवेदी ने अखंड सनातन धर्म की अवधारणा को प्रतिबद्ध करते हुए जोधपुर के बेहद चर्चित चेहरे और वरिष्ठ पत्रकार संपादकीय लेखक डॉ. राकेश वशिष्ठ को अखिल भारतीय हिंदू महासभा के (पत्रकार प्रकोष्ठ) "हिन्दू पत्रकार सभा" के राष्ट्रीय अध्यक्ष का दायित्व सौंप शुभकामनाएं देते हुए राष्ट्रीय पत्रकार राष्ट्रीय कार्यकारणी का गठन करने और सभी प्रदेशों में प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति करने हेतु निर्देशित किया।
     हिन्दू पत्रकार सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राकेश वशिष्ठ ने कहा कि वो 18 अप्रैल को जोधपुर में संपन्न राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक की कवरेज के लिए कार्यक्रम में शामिल हुए थे। कार्यक्रम में वो हिन्दू महासभा की नीतियों से प्रभावित हुए और उसी समय हिन्दू महासभा में शामिल होने का मन बना लिया था। उन्होंने देश भर के पत्रकारों को हिन्दू महासभा से जोड़ते हुए हिन्दू पत्रकार सभा के माध्यम से हिन्दू महासभा की नीतियों को जन जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि हिन्दू पत्रकार सभा को देश का सबसे बड़े और शक्तिशाली पत्रकार संगठन के रूप में स्थापित करना और पत्रकारों के हितों के लिए अभियान चलाना उनकी प्राथमिकता में शामिल है।
     हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता बी एन तिवारी ने आज जारी बयान में हिंदू महासभा के पत्रकार प्रकोष्ठ के नवनियुक्त राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राकेश वशिष्ठ को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि सिख, जैन और बौद्ध पंथ को जोड़े बिना अखंड सनातन धर्म की परिकल्पना असंभव है। उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष रविन्द्र कुमार द्विवेदी के इस अभियान की प्रशंसा करते हुए सिक्खों, जैनियों और बौद्धों से भारी संख्या में हिन्दू महासभा से जुड़ने और भारत को विश्वगुरु बनाने में अपना योगदान देने का आह्वान किया। डॉ. राकेश वशिष्ठ की नियुक्ति की घोषणा के साथ ही राजस्थान के पत्रकारों मैं खुशी की लहर दौड़ पड़ी अनेक प्रतिष्ठित राजनैतिक दलों, सामाजिक संगठनों, पत्रकार संगठनों कार्यकर्ताओं ने सभी प्रकार के संचार माध्यम से डॉ. राकेश वशिष्ठ को शुभकामनाएं प्रेषित कर बधाई दी।