64 लोगों की हुई स्वास्थ्य जांच, 41 यूनिट रक्त एकत्रित
जोधपुर में आयोजित शिविर में 80 लोगों ने कराई बीएमडी जांच
जोधपुर। जालोरी गेट स्थित पुष्करणा गोविंदगढ़ में खांडा फलसा गणगौर मेला समिति द्वारा गुरुवार को एक विशाल निःशुल्क चिकित्सा एवं रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक चले इस शिविर का उदघाटन अतिथि सुदर्शन अरोड़ा, अध्यक्ष रामदास अरोड़ा, सचिव राजेश फोफलिया और शोभायात्रा संयोजक अभिषेक पुरोहित ने संयुक्त रूप से किया। शिविर के संयोजक अजय अरोड़ा और मनीष चांडक ने बताया कि चिकित्सा शिविर में डॉ. यश ठक्कर, डॉ. मुमताज अली और उनकी टीम ने 64 व्यक्तियों की स्वास्थ्य जांच की और उन्हें आवश्यक परामर्श दिया। इसके अलावा, 80 से अधिक लोगों ने शिविर में बीएमडी जांच का लाभ उठाया।
धींगा गवर: संस्कृति या अराजकता ? महिलाओं का मेला हुआ मनचलों का अड्डा
बरसों पुरानी परम्परा अब भ्रामक प्रचार और अराजकता का शिकार, प्रशासन की भूमिका पर सवाल
क्या बचा पाएगी "धींगा गवर" की गरिमा ? महिला शक्ति
जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन को इस मेले की मर्यादा बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए। पांच-छह दशक पहले पुरुष स्वेच्छा से अपने घरों में चले जाते थे। मोहल्लों की हथाइयों पर कुछ बुजुर्ग महिलाओं की सुरक्षा के लिए बैठते थे। परन्तु "बेंतमार गणगौर" नामकरण के बाद कई महिलाएँ डर से बाहर नहीं निकल पाती हैं।
प्रशासन को ये इंतज़ाम करने चाहिए:* ट्रैफिक व्यवस्था और भीड़ को नियंत्रित करना।
* महिला और पुरुष सिपाहियों की तैनाती।
जिला-पुलिस प्रशासन से स्टेज की परमिशन नहीं देने का आग्रह
"धींगा गवर माता" मेले में गवर माता विराजित होने के लिए केवल एक छोटा-सा स्टेज ही बनाया जाता हैं। जबकि पिछले कुछ दशकों से स्टेज व डीजे के रूप में चलाई गई परंपरा से ना केवल मेले की व्यवस्थाएं प्रभावित हो रही, बल्कि संकरी रोड़ व गलियों में स्टेज के आगे जाम लगने से भीड़ धक्का-मुक्की होने के कारण महिलाओं के साथ गलत हरकतें होने लगती हैं। ऐसे में जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन से भीतरी शहर के किसी भी क्षेत्र में स्टेज लगाने की परमिशन बिल्कुल नहीं देने का आग्रह हर शहरवासी कर रहा है क्योंकि ऐसी कोई पौराणिक परंपरा है ही नहीं। जहां नियम तोड़े जाते हो, वहां नियमनुसार उचित कार्रवाई की जाए।
धींगा गवर मेला हमारी संस्कृति का अंग है। इसकी रक्षा करना हम सबकी ज़िम्मेदारी है।शोभायात्रा में उमड़ा जनसैलाब, शहर भर में रही भक्तिमय रौनक
दिन में लोटियों के मेले ने बढ़ाई रौनक
शहर के कृष्ण मंदिरों में धार्मिक आयोजनों का हुआ आयोजन, पाण्ड्य नृत्य ने खींचा भक्तों का ध्यान
केसर होली और पाण्ड्योजी नृत्य ने रंगपंचमी को बनाया खास
जोधपुर। शहर में चैत्र कृष्णा पंचमी के पावन अवसर पर बुधवार को रंगपंचमी का त्योहार धूमधाम से मनाया गया। होली के पांच दिन बाद मनाए जाने वाले इस पर्व पर शहर के विभिन्न कृष्ण मंदिरों में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। भीतरी शहर के प्रसिद्ध गंगश्याम जी मंदिर में तो उत्साह का अद्भुत नजारा देखने को मिला। भक्तों ने एक दूसरे पर रंगों की बौछार कर होली खेली और पर्व का जश्न मनाया।
80 साल पुरानी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए युवा पीढ़ी करेगी "श्लील गाली गायन" की प्रस्तुति
चंचल कुमार दवे और स्वर्गीय विश्वेश्वर दत्त व्यास को मिलेगा लाइफ़ टाइम अचीवमेंट अवार्ड
जोधपुर। श्रीमाली ब्राह्मण समाज द्वारा एक अनोखे आयोजन की तैयारी की जा रही है। 15 मार्च 25 शनिवार को शिवबाड़ी स्थित समाज भवन (चांदपोल के बाहर) में "श्लील गाली गायन" कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। समाज अध्यक्ष महेन्द्र बोहरा और मंत्री नरेंद्र राज बोहरा ने बताया कि यह कार्यक्रम मारवाड़ की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखने के उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा है।
उत्साह और उल्लास से सराबोर रहा LIC आवासीय परिसर, भजनों और होली के रंगों ने बांधा समा
जोधपुर। भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) मंडल कार्यालय के आवासीय कॉलोनी परिसर में सोमवार शाम 6 से 9 बजे तक एक भव्य फागोत्सव का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में वरिष्ठ मंडल प्रबंधक राजीव गोसाई, विपणन प्रबंधक विजय सतपाल और तथागत तंवर, दावा प्रबंधक नौरतमल और नव व्यवसाय प्रबंधक सविता कौशिक बतौर अतिथि उपस्थित रहे।
15 एकड़ में फैला भव्य मंदिर, 51 फीट ऊंची भगवान चित्रगुप्त की प्रतिमा आकर्षण का केंद्र
कायस्थ समाज के लिए आध्यात्मिक व सामाजिक विकास का केंद्र बनेगा शक्तिपीठ
जोधपुर। वृन्दावन (उत्तर प्रदेश) ब्रजभूमि की यह पावन नगरी, अपनी प्राचीनता और 5000 से अधिक मंदिरों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। बांके बिहारी, राधारमण, रंगनाथ जैसे मंदिरों के अलावा, अब एक और आध्यात्मिक स्थल ने इस शहर की धार्मिक धरोहर में नया अध्याय जोड़ा है–श्री चित्रगुप्त शक्तिपीठ लगभग 15 एकड़ में फैले इस भव्य परिसर का निर्माण श्री श्री 1008 आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी सच्चिदानंद, पशुपतिनाथ महाराज के सान्निध्य में किया जा रहा है।